Adhyatmik Shastra (आध्यात्मिक शास्त्र) by Brahmarshi Pitamaha Patriji (Book)
Adhyatmik Shastra (आध्यात्मिक शास्त्र) by Brahmarshi Pitamaha Patriji (Book)
Couldn't load pickup availability
सर्वप्रथम अध्ययन करने वाला शास्त्र ही “आध्यात्मिक शास्त्र” है। क्या कर रहे हैं? ज्ञात नहीं। क्या करना है? ज्ञात नहीं। अब तक क्या किया? ज्ञात नहीं। किस प्रकार खाना है? ज्ञात नहीं। कब खाना है? ज्ञात नहीं। क्या सोचना है? ज्ञात नहीं। क्या बोलना है? ज्ञात नहीं। कितना धन कमाना है? ज्ञात नहीं। किस प्रकार जीना है? ज्ञात नहीं। मृत्यु के लिए किस प्रकार तैयार होना है? यह भी ज्ञात नहीं।
यह ‘जीवन’ क्या है? ‘इस’ प्रकार क्यों जी रहे हैं? ‘उस’ प्रकार क्यों नहीं जी रहे हैं? वास्तव में ‘किस’ प्रकार जीना चाहिए? जन्म क्या है? मृत्यु क्या है? जन्म के पहले और मृत्यु के पश्चात क्या है? संपूर्ण रूप से जीवन की रूपरेखा क्या है? इस सृष्टि की रचना किस प्रकार हो रही है? दु:ख राहित्य जीवन
किस प्रकार जीना है? आनंद के साथ किस प्रकार जीना है? सब को मिलजुलकर किस प्रकार जीना चाहिए? इन सबसे परिचित होना ही “आध्यात्मिक शास्त्र” है जिसका उल्लेख पत्री जी ने इस किताब में बहुत ही सरल भाषा में किया है।
Share
